हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान BLOs पर बढ़ते दबाव और आत्महत्या की घटनाओं का मुद्दा गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में गंभीरता से उठाया गया। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट को अवगत कराया कि उनके पास 35 से 40 BLOs की ऐसी जानकारी है जिन्होंने SIR के अत्यधिक बोझ और हालात के चलते आत्महत्या जैसा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और इस पर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए SIR प्रक्रिया का संचालन कर रहे राज्यों को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए। अदालत ने साफ कहा कि BLOs पर अतिरक्ति बोझ कम करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की जाए, ताकि उन पर अनावश्यक दबाव न बने। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कोई BLO व्यक्तिगत या विशेष कारणों से SIR कार्य करने में सक्षम नहीं है, तो ऐसे मामलों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए और उचित स्थिति में किसी दूसरे कर्मचारी को कार्य सौंपा जाए।
इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि BLOs को राहत नहीं मिलती है या उन पर दबाव बढ़ता है, तो वे कानूनी राहत लेने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट या संबंधित न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि SIR एक वैध प्रशासनिक प्रक्रिया है और इसे पूरा करना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि कहीं स्टाफ की कमी है, तो यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे इसकी पूर्ति करें और BLOs को सुरक्षित, सम्मानजनक और तनावमुक्त वातावरण उपलब्ध कराएं।
उन्होंने कहा कि सरकारें यह सुनिश्चित करें कि कार्यभार की वजह से किसी कर्मचारी को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित न होना पड़े।
सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि BLOs की समस्याओं का समाधान होगा और उनके कार्य परिस्थितियों में सुधार आएगा।













