हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13 मई : 2025,
हाथरस। नवल नगर निवासी भारतीय स्टेट बैंक की सीनियर अकाउंटेंट शिल्पी अग्रवाल को बार-बार खराब हो रहे ई-स्कूटर से परेशान होकर आखिरकार जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कई महीनों की सुनवाई के बाद आयोग ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को स्पष्ट आदेश दिया है कि या तो स्कूटर को पूरी तरह ठीक कर सुचारू रूप से चलने योग्य स्थिति में लौटाएं, या फिर वाहन की कीमत में 30 प्रतिशत की कटौती कर 84,000 रुपये ग्राहक को वापस करें।
क्या है पूरा मामला?
शिल्पी अग्रवाल ने 26 सितंबर 2023 को ओला इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरु की अधीनस्थ इकाई, ओला इलेक्ट्रिक स्टोर गिजरौली (हाथरस) से 1,19,999 रुपये में एक ई-स्कूटर खरीदा था। लगभग नौ महीने तक वाहन ने सामान्य रूप से काम किया, लेकिन इसके बाद अचानक इसमें खराबी आ गई।
शिकायत के बाद स्कूटर को अलीगढ़ स्थित वर्कशॉप भेजा गया, जहां मरम्मत के बाद वाहन उन्हें लौटा दिया गया। मगर हैरानी की बात यह रही कि अगली ही सुबह यानी 18 जुलाई 2024 को स्कूटर रास्ते में ही बंद हो गया। इसके बाद ग्राहक की शिकायत पर वाहन को आगरा की वर्कशॉप भेजा गया, लेकिन वहां से उसे अब तक वापस नहीं किया गया।
उपभोक्ता की मांग और आयोग का निर्णय
थक-हारकर शिल्पी अग्रवाल ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, हाथरस के समक्ष परिवाद दायर किया। उन्होंने आग्रह किया कि वे अब यह स्कूटर नहीं रखना चाहतीं, बल्कि खराब स्कूटर वापस करके अपनी पूरी धनराशि प्राप्त करना चाहती हैं।
इस मामले की सुनवाई आयोग के अध्यक्ष राकेश कुमार और सदस्य कृष्ण प्रभाकर उपाध्याय के समक्ष हुई। दोनों अधिकारियों ने मामले के तथ्यों और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ग्राहक की मांग को उचित मानते हुए ओला इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी प्रा. लि. को आदेश दिया कि:
- यदि स्कूटर की पूर्ण एवं दोषरहित मरम्मत संभव हो, तो उसे एक माह के भीतर शिकायतकर्ता को सुचारू स्थिति में सौंपा जाए।
- यदि मरम्मत संभव न हो, तो वाहन की मूल कीमत ₹1,19,999 में से 30% की कटौती कर ₹84,000 ग्राहक को लौटाया जाए।
- इसके अतिरिक्त कंपनी को मानसिक उत्पीड़न के लिए ₹5,000 और मुकदमे के खर्च के रूप में ₹5,000 का भुगतान भी करना होगा।
उपभोक्ताओं के लिए सबक
यह मामला उन उपभोक्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो तकनीकी खराबी और खराब सेवा के बावजूद शिकायत दर्ज नहीं करते। उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए जिला उपभोक्ता आयोग एक सशक्त माध्यम है और यह निर्णय दर्शाता है कि उचित न्याय की मांग करने वालों को न्याय अवश्य मिलता है।