हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑15 मई : 2025
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब बस कुछ महीनों की दूरी पर हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी मोर्चा संभाल लिया है। पटना जिले की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ी विधानसभा सीटों में से एक दीघा विधानसभा क्षेत्र भी अब सियासी हलचल का केंद्र बन चुका है।
वर्तमान में बीजेपी के विधायक संजीव चौरसिया इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मगर 2025 के चुनाव से पहले ही इस सीट को लेकर एनडीए के भीतर ही रस्साकशी शुरू हो गई है। जहां एक ओर जेडीयू के नेता इस सीट पर दावा ठोक रहे हैं, वहीं संजीव चौरसिया तीसरी बार टिकट मिलने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं।
दीघा विधानसभा सीट का गठन 2008 में हुए नए परिसीमन के बाद हुआ था। इससे पहले यह सीट ‘पटना पश्चिम’ के नाम से जानी जाती थी, जहां नितिन नवीन के पिता नवीन सिन्हा विधायक थे। 2010 में यहां पहली बार चुनाव हुआ, जिसमें जीत जेडीयू के खाते में गई थी। लेकिन 2015 में इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया और संजीव चौरसिया विधायक बने।
2020 में भी एनडीए के तहत यह सीट बीजेपी के पास रही और चौरसिया ने सीपीआईएमएल के शशि कुमार को 49,000 वोटों से हराया।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इस सीट पर जेडीयू की सक्रियता बढ़ गई है। जेडीयू नेता बिट्टू सिंह इस सीट पर लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि यह सीट जेडीयू की परंपरागत सीट रही है। उनके अनुसार, “2008 में जब यह सीट बनी, तब यह जेडीयू के हिस्से में थी और हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम के आधार पर यहां से चुनाव लड़ेंगे।”
हालांकि, अब तक जेडीयू की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अंदरखाने खेल बहुत गहरा चल रहा है।
संजीव चौरसिया का दावा है कि उन्होंने दीघा क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में अभूतपूर्व विकास कार्य किए हैं। उन्होंने राजीव नगर से कुर्जी तक फोरलेन सड़क, 1024 एकड़ भूमि विवाद का समाधान, नेपाली नगर और बाबा चौक क्षेत्र में सड़क निर्माण, जैसे कई बड़े कार्य गिनाए। उनका कहना है, “कुछ लोग टिकट की फिराक में हैं, लेकिन टिकट पार्टी नेतृत्व तय करता है। हमें पूरा भरोसा है कि यह सीट बीजेपी के ही खाते में जाएगी।”
दीघा विधानसभा में लगभग 4.85 लाख मतदाता हैं। इनमें यादव, राजपूत, कोइरी, भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ, कुर्मी और वैश्य समुदायों की निर्णायक भूमिका है। यादव मतदाता लगभग 50 हजार, जबकि मुस्लिम मतदाता करीब 25 हजार हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग (EBC) की भी मजबूत मौजूदगी है।
इस क्षेत्र की खास बात यह है कि महिला वोटर काफी सक्रिय होती हैं, और यही कारण है कि पिछले दो चुनावों में एनडीए को सफलता मिलती रही है।
2025 का चुनाव दीघा सीट के लिए काफी अहम और रोमांचक होने वाला है। बीजेपी और जेडीयू दोनों ही इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला एनडीए के केंद्रीय नेतृत्व पर टिका है।
क्या संजीव चौरसिया को तीसरी बार टिकट मिलेगा या जेडीयू अपने पुराने प्रभाव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता के बल पर यह सीट वापस ले पाएगी? यह सवाल फिलहाल जवाब मांग रहा है, जिसका फैसला कुछ महीनों में होगा।

















