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एएमयू ने तोड़े तुर्किये से शैक्षणिक रिश्ते, अलीगढ़ से नहीं जाएगा अब ताला-हार्डवेयर

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑17 मई : 2025

अलीगढ़, 17 मई – पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने बड़ा फैसला लेते हुए तुर्किये से अपने सभी शैक्षणिक संबंध खत्म कर दिए हैं। शुक्रवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने मंत्रणा के बाद यह निर्णय सार्वजनिक किया, जिससे देशभर में यह मुद्दा एक बड़ा संदेश बनकर उभरा है।

एएमयू का तुर्किये के विश्वविद्यालयों के साथ वर्षों पुराना शैक्षणिक जुड़ाव रहा है। अतीत में इस्तांबुल के आयडिन विश्वविद्यालय और अंकारा मेडिपोल विश्वविद्यालय के साथ शिक्षक और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके तहत कई सम्मेलन, शोध परियोजनाएं, व्याख्यान और शैक्षणिक चर्चाएं हुईं। लेकिन अब एएमयू ने साफ कर दिया है कि तुर्किये के किसी भी विश्वविद्यालय से कोई शैक्षणिक या शोध संबंध नहीं रहेगा।

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय देश की संप्रभुता, अखंडता और आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुरूप लिया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया कि तुर्की भाषा के कोर्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह एक भाषा-अध्ययन का हिस्सा है, न कि राजनीतिक या कूटनीतिक गठजोड़।

केवल शैक्षणिक क्षेत्र ही नहीं, अलीगढ़ के प्रमुख ताला और हार्डवेयर उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने भी तुर्किये से व्यापारिक संबंध खत्म करने का ऐलान किया है। स्थानीय व्यापारियों ने कहा कि तुर्किये द्वारा आतंक को परोक्ष समर्थन देना असहनीय है, और भारतवासी इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

हार्डवेयर व्यापारी वीरेंद्र गोस्वामी ने कहा, “देश के स्वाभिमान से बड़ा कुछ नहीं होता। तुर्किये जैसे देश को सबक सिखाना जरूरी है, जो पाकिस्तान जैसे आतंकी देश का समर्थन करता है।”
वहीं, ताला व्यापारी विशाल गुप्ता ने कहा, “हम तुर्किये को अलीगढ़ से ताला नहीं भेजेंगे। हर मंच पर उसका विरोध किया जाएगा।”

मालूम हो कि कुछ व्यापारी तुर्की से आने वाले सेब के आयात को भी रोकने के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि जब एक देश भारतविरोधी रुख अपनाता है तो आर्थिक मोर्चे पर भी उसका विरोध ज़रूरी है। देश की सुरक्षा और सम्मान सर्वोपरि है।

एएमयू और अलीगढ़ के कारोबारियों की यह पहल देश में एक सकारात्मक उदाहरण बनकर उभरी है कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, तो शिक्षण संस्थान और व्यापारी वर्ग भी एकजुट होकर कठोर कदम उठाने को तैयार हैं।
यह मामला न सिर्फ स्थानीय, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है।

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