हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएलएड कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातक रखने के शासनादेश को सही ठहराया है। कोर्ट ने एकल पीठ के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें शासनादेश के खंड 4(1) को रद्द किया गया था। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को प्रशिक्षण कोर्स या सहायक अध्यापक नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता तय करने का अधिकार है, जो एनसीटीई के मानकों से कम नहीं हो सकती। सरकार यदि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अर्हता उच्च रखती है, तो यह वैध है।
सरकार ने दलील दी थी कि स्नातक में 50% अंक की अर्हता तय करना शिक्षा नियमावली और एनसीटीई दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। कोर्ट ने माना कि एनसीटीई द्वारा तय मानक केवल न्यूनतम हैं, सरकार इन्हें और ऊँचा रख सकती है। एकल पीठ ने पहले कहा था कि स्नातक अर्हता एनसीटीई मानक के विपरीत है और इंटर पास उम्मीदवारों को प्रवेश में शामिल करने का निर्देश दिया था। अब खंडपीठ ने उस आदेश को रद्द कर दिया है।
इस निर्णय से 2025-26 सत्र के लिए डीएलएड में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो गया है। प्रदेश के 67 डायट कॉलेजों की 10,600 और 2,974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 सहित कुल 2,33,350 सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी अब एनआईसी से परामर्श कर प्रस्ताव सरकार को भेजेगा और अनुमति मिलने के बाद प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

















