हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:17 जुलाई 2025
बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर जनता का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है, और अब राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के बयान ने आग में घी का काम कर दिया है। बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी (ADG) कुंदन कृष्णन ने हाल ही में एक बयान दिया है, जो न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्कि प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
ADG कुंदन कृष्णन का कहना है कि अप्रैल, मई और जून के महीनों में बिहार में हत्याएं इसलिए अधिक होती हैं क्योंकि इस दौरान बारिश नहीं होती, किसान खाली होते हैं और उनके पास कोई काम नहीं होता। जब बारिश होती है और किसान खेतों में लग जाते हैं, तब अपराध कम हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मौसम और सामाजिक गतिविधियां अपराध के आंकड़ों को प्रभावित करती हैं।
इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या अब राज्य में हो रहे सरेआम कत्ल, व्यापारी की हत्या और अस्पतालों में हो रही गोलीबारी को भी ‘मौसम का असर’ मान लिया जाए? क्या अब नरसंहार और गैंगवार भी मानसून से जुड़े आंकड़ों में छिपा दिए जाएंगे?
बीते कुछ हफ्तों में बिहार में कई सनसनीखेज हत्याएं हुई हैं — कभी अस्पताल के भीतर गोलीबारी, तो कभी व्यापारी की सरेराह हत्या। परिवारों के पूरे-पूरे नरसंहार हो गए हैं और आम लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
ऐसे में एक उच्च पदस्थ अधिकारी का यह बयान न केवल गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि यह पीड़ितों और उनके परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा भी है। जिन कंधों पर कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी है, अगर वहीं से इस तरह की टिप्पणियां आएंगी, तो आमजन न्याय की उम्मीद किससे करेंगे?