हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 20 मई : 2025
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर एक बार फिर बड़ा बोझ पड़ सकता है। राज्य सरकार के अधीन कार्यरत यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) प्रस्ताव दाखिल करते हुए बिजली दरों में औसतन 30 फीसदी तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है।
कॉरपोरेशन ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि अगले वित्तीय वर्ष में 19600 करोड़ रुपये का घाटा रहेगा, जिसे पूरा करने के लिए दरों में बढ़ोतरी जरूरी है। आयोग से अनुरोध किया गया है कि वह मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करे।
UPPCL ने बताया कि 2020-21 में जहां कैश गैप 30,447 करोड़ रुपये था, वह 2024-25 में बढ़कर 48,515 करोड़ और 2025-26 में 54,530 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। केवल एक साल में कैश गैप में 23.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ ही बैंकों से लिए गए लोन में भी 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
पावर कॉरपोरेशन की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2024-25 में बिजली बिलों के सापेक्ष वसूली दर केवल 88% ही रही। इसके अलावा, 54.24 लाख उपभोक्ताओं ने एक बार भी बिजली बिल का भुगतान नहीं किया, जिन पर कुल 36,353 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं, 78.65 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले छह महीने से बिल नहीं चुकाया और इन पर 36,117 करोड़ रुपये का बकाया है।
विद्युत कंपनियों ने बताया कि ट्रांसफॉर्मरों की क्षति दर अभी भी 10% से अधिक बनी हुई है। साथ ही, 100% कलेक्शन एफिशिएंसी को अव्यवहारिक मानते हुए यह कहा गया है कि वसूली की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखकर ही दरें तय की जाएं।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में यूपी पावर कॉरपोरेशन एवं डिस्कॉम का कुल खर्चा 1,07,209 करोड़ रुपये रहा, जिसमें:
- ऊर्जा क्रय पर: ₹77,013 करोड़
- परिचालन और अनुरक्षण पर: ₹7,927 करोड़
- ब्याज भुगतान पर: ₹6,286 करोड़
- मूल ऋण अदायगी पर: ₹15,983 करोड़
वहीं, कुल राजस्व मात्र ₹67,955 करोड़ ही प्राप्त हुआ।
इसी प्रकार, 2024-25 में खर्च बढ़कर ₹1,10,511 करोड़ हो गया, जबकि राजस्व घटकर ₹61,996 करोड़ रह गया, जो पिछले वर्ष से 8% कम है।
राज्य सरकार ने वर्ष 2023-24 में ₹19,494 करोड़ की सब्सिडी और ₹13,850 करोड़ अनुदान/लॉस फंडिंग के रूप में सहायता दी। इसके बाद भी ₹5,910 करोड़ का घाटा बचा, जिसे अतिरिक्त कर्ज लेकर पूरा किया गया।
बिजली दरें बढ़ाने के इस प्रस्ताव का ऊर्जा और उपभोक्ता संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। इन संगठनों का आरोप है कि प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए उपभोक्ताओं पर बोझ डाला जा रहा है।