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अलीगढ़: पुलिस लाइन छेरत में बने ट्रांजिट हॉस्टल की जांच करेगी SIT कानपुर

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:

ट्रांजिट हॉस्टल और बरौली नगर पंचायत के निर्माण कार्यों पर उठे सवाल, दो जांचें बैठीं

अलीगढ़,
जनपद अलीगढ़ में दो बड़े निर्माण कार्यों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। पहला मामला पुलिस लाइन छेरत में बन रहे ट्रांजिट हॉस्टल का है, जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 अक्टूबर 2023 को किया था। लगभग 59.58 करोड़ रुपये की लागत से 2.61 एकड़ भूमि पर बन रहे इस हॉस्टल को अप्रैल 2025 तक पूरा होना था। यह 13 मंजिला इमारत चार ब्लॉकों में बनाई जा रही है। लेकिन निर्माण कार्य की गुणवत्ता और समयसीमा को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है।

बीते दिनों सीडीओ प्रखर कुमार सिंह के निर्देश पर प्रशासनिक टीम ने निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि भवन का कार्य अभी अपूर्ण है, कई स्थानों पर प्लास्टर झड़ रहा है, दरवाजों पर फिनिशिंग अधूरी है और ग्राउंड फ्लोर पर कोटा स्टोन का काम भी पूरा नहीं हुआ। फ्लोरिंग और प्लास्टर की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। इसके चलते निर्माण कार्य के नमूनों की जांच आईआईटी कानपुर से कराने की संस्तुति की गई है। साथ ही अधिशासी अभियंता अभिकल कुमार राही से यह स्पष्ट करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है कि अपूर्ण और दोषपूर्ण भवन को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव आखिर किन परिस्थितियों में किया गया।

दूसरा मामला बरौली नगर पंचायत से जुड़ा है। यहां विभिन्न विकास कार्यों, जैसे ओपन जिम और सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आरोप है कि अधिशासी अधिकारी ने नियमों के विपरीत कार्यों को ठेकेदार आरके कंस्ट्रक्शन को सौंपा और भ्रामक उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजकर अनियमित भुगतान कराया। इन आरोपों के आधार पर एडीएम प्रशासन पंकज कुमार ने जांच के आदेश दिए हैं। एसडीएम गभाना को मामले की जांच सौंपी गई है। साथ ही उपनिदेशक, स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग अलीगढ़ मंडल को भी लेखा परीक्षा अधिकारी नामित कर जांच में शामिल होने को कहा गया है।

इन दोनों मामलों ने जिले की निर्माण कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ जहां करोड़ों रुपये की लागत से बन रहा पुलिस लाइन का ट्रांजिट हॉस्टल अभी अधूरा और घटिया गुणवत्ता का नजर आ रहा है, वहीं नगर पंचायत स्तर पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप विकास कार्यों की सच्चाई को उजागर कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाती है और जनता के पैसों से होने वाले कार्यों में पारदर्शिता कितनी सुनिश्चित हो पाती है।

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