हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 6 मई : 2025,
उत्तर प्रदेश में 7 मई, बुधवार को पूरे राज्य में व्यापक स्तर पर मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। यह अभ्यास गृह मंत्रालय के निर्देश पर किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य संभावित युद्ध, आतंकवादी हमलों या अन्य आपात स्थितियों में आम नागरिकों को जागरूक और तैयार करना है। इस ड्रिल में हवाई हमले, ड्रोन अटैक और मिसाइल हमले जैसी परिकल्पित परिस्थितियों से बचने के उपाय सिखाए जाएंगे।
यह पहला मौका नहीं है जब ऐसा अभ्यास किया जा रहा है। इससे पहले 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इस तरह की मॉक ड्रिल कराई गई थी। अब लगभग 54 वर्षों के बाद यह अभ्यास दोबारा आयोजित किया जा रहा है।
ब्लैकआउट और सायरन बजा कर होगा आपात स्थिति का अनुकरण
ड्रिल के दौरान राज्यभर में ब्लैकआउट की स्थिति बनाई जाएगी। यानी सभी घरों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों की लाइटें बंद की जाएंगी ताकि हवाई हमले जैसी स्थिति में दुश्मन की निगाहों से बचा जा सके। सायरन बजाकर नागरिकों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों की ओर जाने का निर्देश दिया जाएगा।
छात्रों और आम नागरिकों को मिलेगा सिविल डिफेंस का प्रशिक्षण
नागरिक सुरक्षा विभाग इस मॉक ड्रिल का नेतृत्व कर रहा है। विभाग द्वारा स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के साथ-साथ आम नागरिकों को सिविल डिफेंस के जरूरी कौशल सिखाए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:
- प्राथमिक चिकित्सा
- आग बुझाने की तकनीक
- संचार के आपात साधनों का उपयोग
- सुरक्षित शेल्टर तक पहुंचने की प्रक्रिया
- दूसरों की सहायता करना
15 जिलों में सक्रिय नेटवर्क, कुल 26 जिलों को किया जा रहा कवर
नागरिक सुरक्षा विभाग के महानिदेशक (डीजी) अभय प्रसाद ने जानकारी दी कि राज्य के 15 जिलों में सिविल डिफेंस विभाग के कार्यालय हैं, जो कुल 26 जिलों को कवर करते हैं। इनमें लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं, जहां ड्रिल को लेकर विशेष तैयारी की गई है।
आपातकालीन सेवाओं की तत्परता की भी होगी जांच
ड्रिल के दौरान यह भी परखा जाएगा कि घायलों को समय पर अस्पताल पहुँचाने, प्राथमिक उपचार देने और अन्य आपात सेवाओं को सक्रिय करने की व्यवस्था कितनी कारगर है। उद्देश्य है — नागरिकों को मानसिक रूप से युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना।
नागरिक सहभागिता ही मॉक ड्रिल की सफलता की कुंजी
यह मॉक ड्रिल सिर्फ प्रशासन की तैयारियों की परीक्षा नहीं है, बल्कि इसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी और जागरूकता को भी परखा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं कि राज्य सरकार आपदा प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देती है।