हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़, 25 अक्तूबर: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की इंटरडिसिप्लिनरी बायोटेक्नोलॉजी यूनिट के प्रोफेसर असद यू. खान, जो इस समय नॉर्वे के यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो के इंस्टीट्यूट ऑफ ओरल बायोलॉजी में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं, ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) यानी दवाओं के प्रति सूक्ष्मजीवों की बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।
अपने संबोधन में प्रो. खान ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सूचीबद्ध कई रोगजनकों में अब “अंतिम विकल्प” समझी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं भी अप्रभावी होती जा रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि दवा-प्रतिरोधी संक्रमण एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप ले रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए वैज्ञानिक सहयोग और नवोन्मेषी शोध आवश्यक हैं।
उन्होंने अपनी टीम द्वारा किए जा रहे नैनोपार्टिकल्स आधारित फोटोडायनेमिक थैरेपी अनुसंधान का उल्लेख किया, जो बहु-दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में नई उम्मीद जगाता है। इसके साथ ही उन्होंने नए वैक्सीन और चिकित्सकीय रणनीतियों के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रो. खान ने कहा कि भारत “वन हेल्थ फ्रेमवर्क” के तहत मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को जोड़कर इस चुनौती से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है। उनकी इस यात्रा से एएमयू और यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो के बीच संयुक्त शोध सहयोग के नए रास्ते भी खुले हैं।
उन्होंने एएमआर को “मूक महामारी” करार देते हुए कहा कि वैज्ञानिक नवाचार और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी पर आधारित सामूहिक प्रयास ही इस वैश्विक खतरे को रोक सकते हैं।















