हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13अप्रैल: 2025,
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले के करछना इलाके में एक दलित युवक की निर्मम हत्या और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के अपमान ने प्रदेश में सामाजिक तनाव और आक्रोश को जन्म दे दिया है। इस घटना पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गहरी नाराज़गी जताई है। उन्होंने राज्य सरकार से इन मामलों में सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जातीय हिंसा पर चिंता जताई
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक के बाद एक दो ट्वीट कर प्रदेश में बढ़ती जातीय हिंसा और सामाजिक तनाव को लेकर चिंता प्रकट की। उन्होंने लिखा:
“उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले के करछना क्षेत्र में सामंती तत्वों द्वारा एक दलित की नृशंस हत्या की घटना अत्यंत दुःखद व चिन्ताजनक है। प्रदेश में बेलगाम आपराधिक, असामाजिक व सामंती तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर कानून का राज स्थापित करना सरकार की जिम्मेदारी है।”
अंबेडकर प्रतिमा के अपमान पर जताया रोष
मायावती ने अपने दूसरे ट्वीट में बाबा साहेब की प्रतिमा को नुकसान पहुँचाने की घटना पर भी गहरी आपत्ति जताते हुए लिखा:
“इसके साथ ही संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के अपमान की घटनाओं को भी सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और समाज में तनाव व हिंसा फैलाने वाले ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।”
दलित समाज में गुस्से का माहौल
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमाओं को नुकसान पहुँचाने की घटनाएँ समय-समय पर सामने आती रही हैं। ऐसी घटनाओं से दलित समाज में आक्रोश की लहर दौड़ जाती है। बाबा साहेब केवल संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक हैं, जिन्होंने जीवन भर दलितों और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
बसपा की सख्त मांग
मायावती, जो स्वयं दलित समाज की प्रमुख राजनीतिक आवाज मानी जाती हैं, ऐसे मामलों को सदैव गंभीरता से उठाती रही हैं। उन्होंने हमेशा यह माँग की है कि राज्य सरकार जातीय हिंसा, सामाजिक भेदभाव और मूर्तियों के अपमान जैसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
सरकार की अगली कार्रवाई पर सबकी निगाहें
मायावती की प्रतिक्रिया के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रदेश सरकार इस गंभीर मामले में क्या ठोस कदम उठाती है। करछना की घटना और अंबेडकर प्रतिमा अपमान के मामलों को लेकर दलित संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनमानस में काफी रोष है। इन घटनाओं के खिलाफ प्रदेशभर में आक्रोश तेज़ी से फैल रहा है।