हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वर्चुअल माध्यम से 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन (22nd ASEAN-India Summit) में हिस्सा लिया। यह सम्मेलन कुआलालंपुर (Kuala Lumpur) में मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम (Anwar Ibrahim) के आमंत्रण पर आयोजित हुआ। इस बैठक का आयोजन 47वें आसियान शिखर सम्मेलन के साथ हुआ, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशिया के 10 देशों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया।
सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने भारत और आसियान देशों के बीच गहराते रणनीतिक संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान मिलकर दुनिया की करीब एक-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और यह साझेदारी साझा इतिहास, मूल्यों और भौगोलिक निकटता पर आधारित है। पीएम मोदी ने कहा कि, “हम केवल भूगोल से नहीं, बल्कि गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों से जुड़े हैं।”
एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि साल 2026 को ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा, व्यापार, कनेक्टिविटी और सतत विकास में सहयोग को मजबूत बनाना है। उन्होंने भारत और आसियान को “ग्लोबल साउथ के साथी यात्री” बताते हुए कहा कि दोनों क्षेत्र शांति, स्थिरता और समृद्धि के साझा दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
इस सम्मेलन की एक और प्रमुख उपलब्धि यह रही कि तिमोर-लेस्ते (Timor-Leste) को औपचारिक रूप से आसियान में शामिल किया गया, जिससे संगठन के सदस्य देशों की संख्या 10 से बढ़कर 11 हो गई। पीएम मोदी ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि भारत तिमोर-लेस्ते के साथ मिलकर क्षेत्रीय प्रगति में योगदान देगा।
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन भारत की “एक्ट ईस्ट नीति” का अहम हिस्सा है, जिसके तहत भारत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करना चाहता है। इस बैठक में व्यापार, निवेश, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक “नियम-आधारित और स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र” के लिए प्रतिबद्ध है और आसियान देशों के साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए तत्पर है। उन्होंने सभी देशों से क्षेत्रीय एकता और परस्पर सहयोग को बढ़ाने का आह्वान किया।













