हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अमेरिका की निजी कंपनी वास्ट स्पेस (Vast Space) ने दुनिया का पहला प्राइवेट स्पेस स्टेशन ‘हेवन-1 (Haven-1)’ बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। यह अंतरिक्ष स्टेशन मई 2026 में लॉन्च किया जाएगा। नासा (NASA) द्वारा 2030 तक अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) को निष्क्रिय करने की योजना के बीच हेवन-1 एक नया और निजी विकल्प बन सकता है।
कैसा होगा हेवन-1 स्पेस स्टेशन
हेवन-1 एक सिंगल मॉड्यूल वाला छोटा स्पेस स्टेशन होगा, जिसका व्यास 4.4 मीटर और आयतन 45 घन मीटर होगा। इसका आकार लगभग एक सिंगल-डेकर बस जितना होगा। इसमें चार अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सोने की व्यवस्था, वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए लॉकर्स, एक कॉमन एरिया और कॉन्फ्रेंस टेबल होगी। स्टेशन में 1.2 मीटर की गुंबदनुमा खिड़की और स्टारलिंक की हाई-स्पीड इंटरनेट सुविधा होगी। कुल वजन करीब 14 टन रहेगा।
नासा की तकनीकी सहायता
वास्ट स्पेस को नासा कई तकनीकी टेस्ट में सहायता दे रही है। ग्लेन रिसर्च सेंटर में 2026 की शुरुआत में स्टेशन का वाइब्रेशन और थर्मल वैक्यूम टेस्ट किया जाएगा। इससे पहले नासा ने एयर फिल्टर सिस्टम का सत्यापन भी किया था, ताकि स्टेशन अपने वातावरण से जहरीले तत्वों को हटाने में सक्षम हो।
लॉन्च और मिशन की अवधि
हेवन-1 को स्पेसएक्स (SpaceX) के फॉल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इसमें स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल से चार-चार अंतरिक्ष यात्रियों को 10-10 दिन के मिशन के लिए भेजा जाएगा। यह स्पेस स्टेशन तीन साल तक कक्षा में सक्रिय रहेगा। वर्तमान में इसकी वेल्डिंग का काम लगभग पूरा है और अप्रैल 2026 तक प्री-लॉन्च तैयारियां शुरू हो जाएंगी।
वैज्ञानिक रिसर्च का केंद्र
हेवन-1 को एक माइक्रोग्रैविटी लैब के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें मेडिकल साइंस, सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी और बायोटेक रिसर्च पर प्रयोग होंगे। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर फ्लोरिडा की कंपनी रेडवायर पहले ही कैंसर और स्टेम सेल रिसर्च कर चुकी है। हेवन-1 में ऐसे ही प्रोजेक्ट आगे बढ़ाए जाएंगे।
क्यों जरूरी है प्राइवेट स्पेस स्टेशन
स्पेस स्टेशन मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभावों, धरती की निगरानी, और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए जरूरी हैं। वास्ट स्पेस इस परियोजना में अब तक करीब 90 अरब रुपये का निवेश कर चुकी है और भविष्य में हेवन-2 नामक बड़ा स्टेशन बनाने की योजना भी रखती है। यह नासा के लिए ISS का वाणिज्यिक विकल्प बन सकता है, हालांकि इसकी उच्च लागत एक बड़ी चुनौती रहेगी।













